
रविवार को इसराइली सेना ने बड़ी घोषणा की कि ग़ज़ा पट्टी में विमान से राहत सामग्री गिराई गई है। लेकिन जैसे ही ये खबर आई, अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों और भूख से बिलखते लोगों की प्रतिक्रिया कुछ यूं थी — “ध्यान भटकाने का नया तरीका, 30 हज़ार कैलोरी गिराई और 20 लाख भूखे बैठे हैं!”
“7 पैकेट गिराए, 2 मिलियन भूखे” — क्या ये कोई मज़ाक चल रहा है?
इसराइली सेना ने दावा किया कि आटा, चीनी और डिब्बाबंद भोजन के सात पैकेट गिराए गए। अब गणित ये कहता है कि अगर हर पैकेट 2 किलो का भी हो, तो भी एक छोटे मोहल्ले के चाय-बिस्कुट जितना ही सामान होगा।
इंटरनेशनल रेस्क्यू कमिटी के किरॉन डोनेली ने साफ कहा:
“हवाई रास्ते से आप क्वालिटी या क्वांटिटी की ज़रूरत नहीं पूरी कर सकते। ये सिर्फ optics है, समाधान नहीं।”
मानवीय गलियारे का एलान, लेकिन ज़मीनी सच्चाई अब भी बंद रास्तों जैसी
इसराइल ने ये भी बताया कि उसने संयुक्त राष्ट्र सहायता काफ़िलों के लिए मानवीय गलियारे खोले हैं, लेकिन NGOs का कहना है कि काफिला अब भी काफ़ी पीछे फंसा हुआ है — काग़ज़ों में खुला रास्ता, जमीनी हकीकत में बंद गली।
IDF का कहना है कि खाद्य वितरण की ज़िम्मेदारी यूएन और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की है, लेकिन सवाल उठता है — अगर दरवाज़ा ही बंद हो, तो रोटी कहां से आएगी?
यूएई और जॉर्डन बोले: “हम आकाश से उतरेंगे, राहत लेकर”
संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री ने कहा कि वे हवाई सहायता फिर से शुरू कर रहे हैं और सबसे ज़रूरतमंद लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे — चाहे रास्ता हो ज़मीन का, हवा का या समुद्र का।
लग रहा है कि ग़ज़ा अब नया एमाज़ॉन हब बन गया है, जहां राहत सामग्री अब “एयरड्रॉप” में मिल रही है — फर्क बस इतना है कि डिलीवरी गारंटी नहीं है।

भुखमरी पर आंकड़े कह रहे हैं: “पैकेट्स नहीं, नीति चाहिए”
ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि कुपोषण से अब तक 127 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 85 बच्चे हैं।
100 से ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर खुला, टिकाऊ और निर्बाध ज़मीनी रास्ता नहीं खोला गया, तो हालात और बिगड़ेंगे।
पेट खाली हो तो उम्मीद भी भूख से लड़ती है — लेकिन कुछ पैकेट गिराकर आप उस जंग को जीत नहीं सकते।
यह राहत नहीं, सिर्फ रिलील (Reel) है
हवाई मदद अच्छा PR है, पर भूख का इलाज नहीं। ग़ज़ा की जनता को सुनियोजित, भरोसेमंद और व्यापक मदद चाहिए — वो भी ‘फ्लाइंग कैमरा वाले पिकनिक पैकेट’ नहीं।
“रुद्र-भैरव-दिव्यास्त्र: अब सेना बोलेगी – आओ अगर हिम्मत है!”